कौन है ....
जो एक साए की तरह मेरे दिल को छूता हुआ गुजर जाता है,
कभी पास से - कभी दूर से ....
एक आवाज, एक नगमा , एक गीत बनकार, मेरी राग रग़ उतर जाता है ..
कभी पास से - कभी दूर से....
कौन है ....
जो मुझे अपनी तनहाई का अहेसास दिला जाता है...
एक खाली पन.... सूना पन छोड़ जाता है..
कौन है...
जो पास रहेकर भी मुझसे दूर है..... मई उसे देखना चाहती हूँ, जानना चाहती हूँ......
उन्ग्लिओंसे उसके चाहेरेको छूना चाहती हूँ.... कौन है जो पास रहेकर भी मुझसे दूर है....
उसके कदमोंकी आहात सुनती हूँ... पलटती हूँ..... उसे देखती हूँ...
तस्वीर बन जाती हूँ..... बेहोश हो दूर हूँ....
Friday, October 26, 2007
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